Navaratri 2024 : शारदीय नवरात्र में जानें मां दुर्गा के 9 रूपों के बारे में
आज का ये स्पेशल आर्टिकल मां दुर्गा के आगमन पर हम आपके लिए लेकर आए हैं जिसमे आज हम बात करेंगे मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की-
3 अक्टूबर से शुरू होकर 11 अक्टूबर तक चलने वाले शारदीय नवरात्र में मां को प्रसन्न करने के लिए आप मां दुर्गा के नव रूपों को जानकर हर दिन उनके अलग अलग रूपों की पूजा कर सकते हैं।
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
जानते हैं नव-स्वरूपों के बारे में –
1. शैलपुत्री – नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती हैं। शैलपुत्री का अर्थ हैं पर्वत की पुत्री , यानि की देवी पार्वती का ही एक रूप माता शैलपुत्री को माना जाता हैं।
2. ब्रह्मचारिणी – दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती हैं। ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली देवी को ही ब्रह्मचारिणी कहा जाता हैं। मान्यता हैं कि भगवान शिव को पाने के लिए मां पार्वती ने कई वर्षो तक कठोर तपस्या की थी। इसीलिए इनका नाम देवी ब्रह्मचारिणी पड़ा।
3. चंद्रघंटा- तीसरे दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित हैं। माता के मस्तक पर अर्ध चंद्रमा के आकार का तिलक धारण किया हुआ हैं। अतः तिलक के इस आकार के कारण मां को चंद्रघंटा कहा गया हैं।
4. कुष्मांडा – माता ने अपने उदर से लेकर अंड तक पूरे ब्रह्मांड को समाया हुआ हैं। माता को इतना शक्तिशाली माना जाता हैं की उनमें पूरे ब्रह्मांड की उत्पत्ति और अंत करने की शक्ति विद्यमान हैं। इसलिए मां का नाम कुष्मांडा पड़ा, जिसमे पूरा ब्रह्मांड समाहित हैं। नवरात्र के चौथे दिन मां की पूजा की जाती हैं।
5. स्कंदमाता – पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती हैं ऐसा माना जाता हैं कि भगवान कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी हैं, जिनपर मां बहुत स्नेह लुटाती हैं।इसलिए इनका नाम स्कंदमाता पड़ा। जिस तरह मां अपने पुत्र पर स्नेह और प्रेम लुटाती हैं वैसे ही मां अपने भक्तो पर स्नेह लुटाती हैं।
6. कात्यायनी- मां दुर्गा का छठा रूप हैं। पुराणों के अनुसार मां कात्यायनी ने ही महिषासुर का वध किया था। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण ही इन्हें कात्यायनी माता के नाम से जाना जाता हैं। मां कात्यायनी शक्ति का प्रतीक हैं जो दुश्मनों का संहार करने में सक्षम बनाती हैं।
7. कालरात्रि – सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती हैं। माता का स्वरूप देखने में भयानक हैं लेकिन अपने भक्तो के लिए मां शुभ फलदायी हैं। राक्षसों का वध करने वाली मां कालरात्रि की पूजा से सभी संकटों का विनाश होता हैं। काल का दूसरा अर्थ ही संकट हैं जिस वजह से मां का नाम कालरात्रि हुआ।
8. महागौरी – मां महागौरी, मां दुर्गा का आठवां स्वरूप हैं। अष्टमी के दिन माता महागौरी की पूजा की जाती हैं। माता का स्वरूप गौर है जिसकी तुलना शंख, पुष्प, चंद्र इत्यादि से की जाती हैं। मां का स्वरूप बहुत ही शांत हैं। माना जाता हैं की इनकी पूजा करने से समृद्धि, सुख, शांति इत्यादि में वृद्धि होती हैं।